आपके बच्चे सिर्फ वही करते और सीखते हैं जो आप करते हो ना कि जो आप बोलते हो कि ऐसा करो|
बच्चों के अंदर एक खास गुण होता है कि देख देख कर सीखना क्योंकि आपने देखा होगा कि आप जो करते हो बच्चे बहुत ही जल्दी उसको कॉपी कर लेते हैं और सीख जाते हैं और मां-बाप दादा दादी और घर के अन्य सदस्य रोल मॉडल का कार्य करते हैं और उनके द्वारा किए गए कार्यों के द्वारा वह सीखते हैं और उनको अपनी आत्मा में बसा लेते हैं|
सबसे जरूरी बात या होती है कि जो घर के लोग कार्यों को हमेशा सही मानते हैं और उसे हिसाब से अपने मन व दिमाग में छवि बना लेते हैं और जिंदगी भर याद रखते हैं और उनकी परवरिश उन्हें विचारों के साथ होती है और उन्हीं विचारों के साथ बड़े होते हैं आप बोलते कितना भी रहो कि यह करो यह अच्छा है या फिर यह कहो कि यह मत करो कि गलत है|
अगर बच्चों के व्यवहार व सच में बदलाव चाहते हैं तो सबसे पहले वही बदलाव मां-बाप अपने आप में बदलाव लाएं बच्चों में वह बदलाव अपने आप आ जाएगा क्योंकि बच्चा वह बदलाव हर दिन देखेगा और वह कार्य वह खुद करने लगेगा|
उदाहरण के लिए अगर आप बच्चों में good food habits/Raw food habits या फिर fruits eating food s या फिर early morning जैन जी की आदत लाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले हैबिट्स अपने आप में लाना पड़ेगी और अगर आप पिज्जा बर्गर खा रहे हैं और बच्चों से बोलो फल खाओ या फिर घर का खाना खाओ या फिर खुद 10:00 बजे जाग रहे हो और बच्चों से बोलो की 5:00 बजे early morning जागे यहां पर आपकी कथनी और करनी में विरोधाभास है और बच्चे आपकी बात कभी नहीं मानेंगे।
सबसे अच्छा आज के दिनों में उदाहरण है कि मां-बाप अपने बच्चों को बोलते हैं कि मोबाइल मत चलाओ ऑनलाइन Games मत खेलो और मां-बाप खुद दिन भर मोबाइल पर बिजी रहते हैं तो जरा सोचो बच्चों के मन में क्या विचार आते होंगे कि आप खुद दिनभर मोबाइल चलाते हो और हमें ज्ञान देते रहते हैं और बच्चे दिन भर मोबाइल चलाने को कभी गलत नहीं मानते हैं अगर आपके बच्चे मोबाइल कम चलाएं सबसे पहले मां बाप को मोबाइल चलाना बंद करना पड़ेगा फिर बाद में बच्चों से बोलना पड़ेगा कि मोबाइल ना चलाएं तो कुछ समय बाद बच्चे मोबाइल चलाना बंद वह मोबाइल उपयोग करना बंद कर देंगे|
मेरे मन में या विचार लिखने का विचार इसलिए आया क्योंकि लगभग आज से सात आठ साल पहले एक महिला दिल्ली मेट्रो में बुक पढ़ रही थी और उसके साथ 10 11 साल का बच्चा भी बुक पढ़ रहा था और उसे महिला का वीडियो वायरल हुआ|
तो मीडिया ने ढूंढ कर उससे पूछा कि आज के दिनों में बच्चे दिन भर मोबाइल पर बिजी रहते हैं और आपका बच्चा मेट्रो में भी बुक कैसे पढ़ रहा है तो उसे महिला ने जवाब दिया था कि आप के बच्चे वही करते हैं जो आप करते हैं ना कि जो आप बच्चे को करने के लिए बोलते हैं|
यही तरीका जब मेरा बेटा हुआ जब मैं साथ में रहता था मैं जो भी कार्य करता था तो मेरा बेटा भी सारे कार्य करना सीख गया था जैसे मॉर्निंग पार्क जाना, पूजा करना, राम-राम बोलना, गुरुद्वारा जाना, हर दिन योगा करना, जब मैं अपनी किताब पढता था तो वह भी अपनी किताब लेकर पढ़ने लगता था और कभी-कभी जो बुक में पढ़ता था तो उसी में पूछता था कि पापा इसमें क्या लिखा पर उसे हिंदी पढ़ना नहीं आई थी वह बुक में जो chapter no. लिखे होते हैं उनको गिनता था जिससे वह Counting सीखना था गुरुद्वारा जाना तो मेरे बेटे की ऐसी आदत बन गई थी कि मुझे सुबह शाम दोनों टाइम बोलता था की जय करने चलो कभी-कभी मैं नहीं जाना चाहता था पर बेटा जिद करता था तो हम दोनों हर दिन जाते थे जब गुरुद्वारा भजन कीर्तन होते हैं उसे समय बेटे को टाइम भी याद हो गया था मैं चाह कर उसे मना नहीं कर पता था और उसकी वजह से हम हर दिन गुरुद्वारा जाते थे|
मैं हर दिन पार्क वॉक करने जाता था तो वह भी हर दिन मेरे साथ पार्क जाना सीख गया था और बेटा भी हर दिन पार्क जाता था और वहां पर बच्चों के साथ या मेरे साथ खेलता था।