जीवन में सक्सेसफुल होने के लिए जिंदगी में आशा व निराशा में से कोई एक चीज की जरूरत है|

अगर किसी व्यक्ति के जीवन में आशा व निराशा हो तो वह व्यक्ति उस जीवन की नाव को पकड़ कर अपने जीवन में सक्सेसफुल हो जाएगा| यहां आशा व निराशा से मेरा तात्पर्य है कि आपके पास आपकी लाइफ में कोई VISION MISSION है और आप उस VISION MISSION पर कार्य करके आगे बढ़ जाएंगे और आप उसे VISION MISSION पर कार्य करते रहेंगे और आपके जीवन में कोई NEGATIVITY  नहीं आएगी|

अगर किसी व्यक्ति के पास कोई VISION MISSIO नहीं है तो उस व्यक्ति को अपने जीवन में किसी बड़ी निराशा, झटका की जरूरत होती है| जब उस व्यक्ति के जीवन में कोई बड़ी निराशा आती है तो वह अपने जीवन को Redesign, Rethinks, Replan, Rebelieve के लिए मजबूर हो जाता है और वह व्यक्ति अपने जीवन में आगे बढ़ाने के लिए निराशा से उपाय ढूंढ लेता है और आगे बढ़ जाता है| जैसे कोई व्यक्ति अपने जीवन में एक अच्छी सी जॉब कर रहा था और वेल सेटल था और अचानक किसी वजह से नौकरी चली जाती है तो वह व्यक्ति अपने आप में पुनः विचार के लिए मजबूर हो जाता है और वह व्यक्ति अपनी इस निराशा से अपने जीवन को design करेगा THINKING करेगा और वह आगे बढ़ेगा जैसे कोई बिजनेस चालू करना, कोई कंपनी स्टार्ट करना आदि|

अगर किसी व्यक्ति के पास शुरू से कोई आशा (VISION) है तो वह उस आशा पर कार्य करके आगे बढ़ता रहेगा|

उदाहरण के लिए हमारे पूजनीय बाबा साहब अंबेडकर जी का उदाहरण लेते हैं उनका बचपन एक अच्छे से खेलते पढ़ाई करते बीता और पैसे की ज्यादा कमी नहीं थी क्योंकि उनके पापा सूबेदार की पोस्ट से RETIRE हुए थे, जब उनके जीवन में बड़ी निराशा  लगी तब वह अपने पिताजी से मिलने अपने गांव से शहर जा रहे थे, तब वह ट्रेन से उतरे तो स्टेशन पर उतरने के बाद शहर तक पहुंचाने के लिए कोई घोड़ा गाड़ी वाला ले जाने के लिए तैयार नहीं था क्योंकि उनकी जाति एक आघूत जाती थी, तब बड़ी मुश्किल से रात को एक बैलगाड़ी वाला ज्यादा पैसा लेकर तैयार हुआ|पर रात में जब रास्ते में खाने के लिए एक ढाबे पर रुके और वहां पर उस ढाबे वाले ने पानी देने से भी मना कर दिया तो वह पूरी रात भूखे व प्यासे रहे| तब उन्होंने इस घटना का  बहुत बड़ा अनुभव लिखा और उन्होंने पहली बार सोचा की आघूत की क्या वैल्यू है तब उन्होंने यह सोचा कि मैं कोट पैंट पहने हुए हूं अच्छा दिख रहा हूं और पैसे वाला हूं तब मेरी यह हालत है तो बाकी आघूत की क्या हालत हुई होगी और यहीं पर उनके मन में आघूत के लिए कुछ करने का बीज पड़ गया|

दूसरा उदाहरण में हमारे महान ग्रंथ रामचरितमानस रचयिता श्री तुलसी दास जी का लेता हूं कैसे उनको जीवन में निराशा ने एक महान ग्रंथ के रचयिता बना दिया| तुलसीदास जी अपनी पत्नी से अटूट प्यार करते थे| तब एक समय की बात है जब उनकी पत्नी रक्षाबंधन पर मायके गई थी तो तुलसीदास जी अकेले रह गए पर उनसे अकेला रहा नहीं गया और आधी रात को वह अपनी ससुराल की तरफ निकल गए| जब रास्ते में नदी पड़ी तो वह एक मुर्दे की गाठी जो चार बांस की बनी हुयी थी उस गाठी को नाव बनाकर नदी को पार किया और नदी बरसात के समय में रक्षाबंधन पर अपने उफान पर थी और उन्होंने सिर्फ चार बांस की लकड़ी पर नदी पार की| जब वह ससुराल पहुंचे तब आधी रात थी और घोर बरसात हो रही थी तब उन्हें कुछ नहीं दिखा और अपनी ससुराल में छत पर चढ़ने के लिए एक काला सांप लटक रहा था तो उसे रस्सी समझकर पकड़ कर चढ़ गए| जब वह अपनी पत्नी के पास पहुंचे तो पत्नी ने पूछा कि आप अंदर कैसे आए तब बताया कि एक रस्सी लटक रही थी उसको पकड़ कर ऊपर चढ़ आया, तब पत्नी ने बोला ऐसी कोई रस्सी नहीं है तो बाद में देखा कि वह तो सांप था|

तो यहां पर उनकी पत्नी ने गुस्से में बोला आप जितना प्यार मुझसे करते हैं उतना अगर भगवान से किया होता तो भगवान मिल जाते तब तुलसीदास जी को बहुत बुरा लगा और यहां पर उन्हें बहुत निराशा हुई और वह उसी समय सभी का त्याग कर तपस्या की तरफ चले गए और हमें महान ग्रंथ रामचरितमानस दिया|

अतः हमारे जीवन में आशा व निराशा कोई एक चीज होना आवश्यक है जो आपको आगे बढ़ाने के लिए काम करेगी|

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