आपका सबसे बड़ा दुश्मन कोई आपका पुराना यार दोस्त ही होता है|
अगर हम बात करते हैं कि आपका सबसे बड़ा दुश्मन कौन है तो ध्यान रखने वाली बात यह होती है कि वह आपका कोई पुराना यार दोस्त या फिर कोई Ex girlfriend, Ex boyfriend या फिर कोई Ex ही होता है|
क्योंकि उसको आपके बारे में सारे राज, आपके सारे दोस्त, दुश्मन यहां तक की आपके सारे personal राज पता होते हैं और कभी वह व्यक्ति आपका घनिष्ठ संबंधी रहा है तो वह व्यक्ति जरूरत से ज्यादा नफरत भी करेगा क्योंकि वह कभी आपसे बहुत प्यार घनिष्ठ संबंध भी रखता था|
तो हमेशा ध्यान रखें जब किसी घनिष्ठ संबंधी दोस्त या फिर किसी Ex से दूर हो रहे हो तो ध्यान रखो की कोई दुश्मनी करके अलग नहीं होना चाहिए क्योंकि उस व्यक्ति को आपके बारे में संपूर्ण जानकारी होती है यहां तक कि उसको यह भी जानकारी होती है कि इस समय आप क्या सोच रहे होंगे? क्या कर रहे होंगे? किससे मिल रहे होंगे? कहां जा रहे होंगे|
हर चीज के बारे में जानकारी होती है तो ऐसा ही व्यक्ति आपका सबसे बड़ा दुश्मन बनता है और ऐसा व्यक्ति सबसे खतरनाक भी होता है जो आपको बर्बाद करने की पूरी क्षमता रखता है|
अतः मैं एक उदाहरण से समझाना चाहूंगा जैसे हम रामायण से रावण – विभीषण संबंध को लेते हैं|
विभीषण रावण के छोटा भाई थे|
रावण जो भी युद्ध लड़ता था सभी युद्ध की युद्ध नीति, युद्ध कैसे लड़ा जाना है और कैसे जीता जाना है सभी युद्ध की नीति विभीषण ही बनाते थे और रावण उन नीतियों को follow करके युद्ध लड़ता था और युद्ध को जीतता था| हम सभी को पता है कि जब रावण ने विभीषण को भरी सभा में से लात देकर निकाला तो वह गुस्से में अपने अपमान का बदला लेने के लिए रावण के दुश्मन राम से जाकर मिल गए और पूरे युद्ध में रावण ने जो भी युद्ध नीति बनाई सभी विभीषण के द्वारा रावण की सभी युद्ध नीति साथ होने के कारण सारी की सारी फेल विभीषण करते गए|
जैसे कि जब रावण का बड़ा बेटा मेघनाथ चण्डी यश करके अमरता का वरदान प्राप्त करने वाला ही था तब लंका से यश का धुआं उठा विभीषण को पता चला कि चण्डी यश हो रहा है और मेघनाथ अमर हो जाएगा तो विभीषण ने राम जी को बताया मेघनाथ अमर हो जाएगा अगर यह यश पूरा हो गया|
तो राम जी ने विचार विमर्श करके विभीषण जी से लक्ष्मण जी को साथ में लेकर मेघनाथ का चण्डी यश बर्बाद कराया और मेघनाथ को वही यश करते वक्त युद्ध में मार डाला|
दूसरा किस्सा रावण की मृत्यु का राज सिर्फ और सिर्फ विभीषण जी को ही पता था कि रावण को सिर्फ एक ही तरीके से मारा जा सकता है वह तरीका है कि रावण की नाभि में अमृत है उसको सुखा कर ही रावण की मृत्यु हो सकती है और यह बात सिर्फ और सिर्फ विभीषण जी को ही पता थी जब राम रावण – युद्ध अपने चरम सीमा पर चल रहा था और राम जी कितने भी उसके शीश कटाते थे तुरंत बाद रावण के नए शीश आ जाते थे और रावण फिर से युद्ध लड़ने लगता था|
राम जी यह सब देखकर हताश व परेशान हो गए थे और तब राम को परेशान देखकर विभीषण राम के पास जाकर बोले प्रभु राम आप 31 बाण एक साथ छोड़ो 10 शीश के लिए, 20 भुजा को काटने के लिए, तथा एक बाण जो रावण की नाभि में अमृत है उसको सुखाय ने के लिए|
जब ही रावण की मृत्यु हो सकती है|
जब विभीषण के कहने पर राम ने 31 बाण एक साथ छोड़े तब रावण की मृत्यु हुई| अगर विभीषण न होते तो रावण को मारना इतना आसान न होता हो सकता था कि वह मरता भी नहीं और रामायण में कुछ और लिखा होता|
अतः ध्यान रखने वाली बड़ी बात है कि आपका सबसे बड़ा दुश्मन आपका कोई करीबी ही होता है अतः किसी करीबी से अलग होते वक्त दुश्मनी बनाकर अलग ना हो|
ARVIND