शांति के लिए शक्तिशाली होना बहुत जरूरी है|

.पी.जे. अब्दुल कलाम जब हमारे महान साइंटिस्ट व मिसाइल मैन ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी ने परमाणु बम सफल परीक्षण किया तो कुछ समय बाद एक पत्रकार ने ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी से पूछा कि सर आप हर समय शांति एकता भाईचारे की बात करते हैं पर आपने तो परमाणु बम बनाया तो  लोगों के मन में भय व आसपास के पड़ोसी देशों में भय पैदा हो जाएगा|

.पी.जे. अब्दुल कलाम जी ने जवाब दिया अगर आप देश, विदेश में शांति चाहते हैं तो देश को शक्तिशाली होना जरूरी है बिना शक्ति के आप शांति नहीं ला सकते हैं|

यह बात सही है कि आज हमारे पास परमाणु बम होने के कारण ही हम चीन से आंख मैं आंख डालकर बात कर पा रहे हैं नहीं तो कब का चीन भारत पर आक्रमण कर दिया होता इसलिए हमारे देश के अंदर इतनी शांति है क्योंकि आज के समय की केंद्र सरकार सत्ता में एक मजबूत व शक्तिशाली बहुमत के साथ सरकार चला रही है|

मेरा भी मानना है कि अगर आप घर व देश या कहीं पर भी शांति चाहते हैं तो आपका शक्तिशाली होना बहुत जरूरी है और हमारे देश भारत में यह हमेशा परंपरा रही है और भारत की संस्कृति में है|

हमारे जितने देवी देवता हैं सब शक्ति के प्रतीक है जैसे कि हमारी नौ देवियां सब के शक्तिशाली रूप दिखाए गए हैं उनके हाथों में चक्र, तलवार, भाला, धनुष जैसे हथियार है क्योंकि आप को शांति स्थापित करने के लिए शक्ति व हथियार की आवश्यकता होती है|

एक कहावत है कि अगर लोग बातों व ज्ञान व सलाह से ही मानते तो मुरली वाला कभी भी सुदर्शन चक्र धारण नहीं करता|

सच यह है कि बहुत ऐसे शरारती लोग होते हैं जो बातों से नहीं मानते हैं तो उनके साथ फिर युद्ध व हिंसा ही रास्ता बचता है शांति स्थापित करने के लिए|

जैसे हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान हमेशा ऐसे ही हरकत करता रहता है तो भारत जैसे शक्तिप्रिय देश को मजबूरी में घर में जाकर hair strike surgical strike जैसे निर्णय मजबूरी में लेने पड़ते हैं क्योंकि पाकिस्तान प्यार की भाषा नहीं समझता है उसे हमें मजबूरी में लातों से ही समझाना पड़ता है जब कोई बातों से न समझे तो उसे लातों से समझाओ|

जैसे कि भगवान शंकर का त्रिशूल शक्ति का प्रतीक है, श्री कृष्ण जी का सुदर्शन चक्र शक्ति का प्रतीक है और राम जी का धनुष बाण शक्ति का प्रतीक है|

सोचो यह सभी भगवान इतने महान कार्य के लिए जाने जाते हैं अगर सिर्फ ज्ञान वर्धा से काम चल जाता तो यह सभी भगवान कभी शस्त्र धारण नहीं करते|

महाभारत व रामायण जैसे युद्ध जब ही हुआ जब लोग बातों व प्यार से नहीं माने तो मजबूरी में श्री कृष्ण जी, भगवान राम को युद्ध का रास्ता अपनाना पड़ा|

अगर युद्ध की आवश्यकता हो तो वहां युद्ध होना चाहिए पर युद्ध अंतिम विकल्प होना चाहिए जब सारे रास्ते बंद हो जाए जैसे राम जी ने रावण से सीता जी को लौटाने के सारे रास्ते अपनाये जैसे अंगद जी को भेजना की सीता जी को लौटा दो संदेश दिया विभीषण जी ने बोला सीता जी को लौटा दो पर रावण नहीं माना तो राम जी को मजबूरी में युद्ध का रास्ता अपनाना पड़ा|

महाभारत में भी श्री कृष्ण जी दुर्योधन के पास शांति प्रस्ताव लेकर गए और पांडवों के लिए पूरे राज्य में कहीं भी पांच गांव मांगे जिसमें पांच पांडव रह सके पर दुर्योधन ने यह बोल दिया कि सुई के बराबर पांडवों को जगह नहीं दी जाएगी और श्री कृष्ण जी को बंधक बना लिया, तब जाकर श्री कृष्ण जी ने पांडवों को सलाह दी की युद्ध की तैयारी करो और अब युद्ध ही अंतिम रास्ता है|

अतः शांति स्थापित करने के लिए शक्तिशाली होना बहुत जरूरी है|

ARVIND

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