परोपकार करना हमें प्रकृति से सीखना चाहिए जो हमें देती ही देती है इंसान अगर प्रकृति को नुकसान पहुंचता है तब भी वह हमें हमेशा देती ही देती है|

यह बात हमें बचपन में जब बुजुर्गों का डिस्कशन होता था तब पता चली थी और यह सच बात है की प्रकृति से बड़ा परोपकारी इस संसार में कोई नहीं है प्रकृति हमें हमेशा देती ही है जैसे सूर्य भगवान हमें ऊर्जा व रोशनी देते हैं हवा हमें ऑक्सीजन देता है धरती माता हमें सारे फल फ्रूट सब्जी अनाज काम व कपड़ा धन तेल सब कुछ देती है उसी प्रकार बादल हमारे वातावरण को संतुलन बनाए रखता है हमने कभी नहीं देखा है की प्रकृति ने कभी बोला हो की बहुत हो गया मैं इंसानों की सहायता नहीं कर पाऊंगी|

एक इंसान अगर कहीं पर ₹10 दान करता है तो वह सोचता है कि मेरे नाम का पत्थर लगना चाहिए या फिर उसका नाम माइक में बोलना चाहिए और इंसान चाहता है कि हमने ₹10 दान किया है तो सभी को पता चलना चाहिए कि मैं दानी हूं दान करना अच्छी बात है अगर आप दान साइलेंटली करते हैं तो आपको कई गुना ज्यादा पुण्य मिलता है क्योंकि साइलेंट पुण्य बहुत अच्छा होता है|

मैंने अपने जीवन में कई बार देखा व सुना है कि अगर मैं आपके साथ ऐसा नहीं किया होता तो आप बड़े आदमी नहीं होते या यहां पर नहीं होते तो भाई साहब बहन जी आपको बताना चाहता हूं कि आप भगवान नहीं है आप एक मध्य है करने वाला तो भगवान ही है इस संसार में आप जो कार्य कर रहे हैं वह भगवान ही कर रहा है हम सब उस ऊपर वाले की लीला में एक कैरेक्टर है|

जैसे रामलीला होते हैं तो कोई राम बनता है कोई लक्ष्मण बनता है कोई सीता कोई हनुमान जी कोई रावण इस प्रकार हम परमात्मा की लीला में एक कैरेक्टर है उसके अनुसार हमें चलना है मेरा कहने का मतलब है जब किसी की भी सहायता करते हैं तो आपको उस पर घमंड नहीं करना चाहिए हमें यह सोचना चाहिए कि परमात्मा ने हमें इतना सब कुछ दिया है उसी के दिए हुए से हम किसी की सहायता कर दे तो उस इंसान का भी भला हो जाएगा और वह भी आगे बढ़ जाएगा|

उदाहरण के लिए हम एक फलदार वृक्ष जैसे आम का उदाहरण लेते हैं जब आम के पेड़ में फल लगने लगते हैं तो आम का पेड़ झुक जाता है जिससे उस आम के वृक्ष से बच्चे आम खा सके और वह आम इंसानों के काम आ सके जब बच्चे आम के वृक्ष से पत्थर व डंडा मारते हैं आम को तोड़ने के लिए आम का वृक्ष बहुत खुश होता है कि आज बच्चे हमारे आंगन में आकर खेल रहे हैं और मुझ मैं आम खाकर बहुत खुश होंगे और आनंदमय महसूस करेंगे|

ध्यान देने वाली बात है कि आम का वृक्ष इतने सारे आम देता है की एक भी आम अपने पास नहीं रखता है सारे आम इंसानों को दे देता है जिससे इंसानों की जरूरत पूरी हो सके जैसे आम खाना अचार खाना आम का रस बनाना आदि|

इसी प्रकार हम इंसानों को आम के वृक्ष या किसी भी वृक्ष से परोपकार करना सीखना चाहिए अगर भगवान ने आपको बहुत खुशियां दी है तो आपको और विनम्र होना चाहिए आपको और अधिक नीचे झुकना चाहिए आपको सभी गरीब और बड़े लोगों से बात करनी चाहिए और आप को लायक हो वह सहायता करनी चाहिए|

आप हर दिन परोपकार सिर्फ अपने घर पर बचे हुए रोटी व सब्जी गाय या चिड़ियों को खिलाकर कर सकते हैं इसके लिए आपका अलग से पैसे खर्च नहीं होंगे और बची हुई रोटी सब्जी का सदुपयोग हो जाएगा

इस प्रकार हम छायादार वृक्ष का उदाहरण लेते हैं किसी भी छायादार वृक्ष के नीचे बैठकर देखा वह आपको हमेशा ठंडक ही देगा कुछ लोग उसकी डालियां यहां तक फूल तन तक काट देते हैं पर वृक्ष का धर्म है इंसानों व पंछियों की सहायता करना फिर वह पेड़ धीरे-धीरे फिर से उग आता है और फिर से हरा भरा होकर आपको छाया देने लगता है|

बस किसी भी पेड़ की जड़ को मत काटो वह हमेशा परोपकार करता रहेगा|

हमें प्रकृति से परोपकार करना सीखना चाहिए|

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