हमें कैसे पता चलता है कि मुझे सर्दी लग रही या गर्मी लग रही है मौसम अच्छा है कि खराब है?
जैसे हम सभी जानते हैं कि हमारे शरीर में एक MIND है और नाक, कान, शरीर, आंखें, मुंह आदि है|
जो हमें गर्मी लग रही है सबसे पहले गर्मी लगती है तो शरीर को लगती है और शरीर मन को इनफॉरमेशन देता है तो मन उसकी प्रक्रिया करता है और यह हमारी मेमोरी व सबकॉन्शियस माइंड में जाकर SAVE हो जाता है सबसे पहली बात हम बच्चों की लेते हैं हमें पता नहीं होता कि गर्मी क्या है या सर्दी क्या है या सब कुछ हमारे मां-बाप गुरु मित्र व पड़ोसियों से सीखते हैं|
अगर मैं कंप्यूटर की भाषा में बात करूं कि मन मेरा प्रोसीजर है और शरीर नाक कान आंख मुंह यह सब इनपुट डिवाइस है नाक कान आंख शरीर नाक जगत को छूता है उसे सर्दी गर्मी महसूस होती है और फिर मन को प्रोसेस करने के लिए INPUT भेज देता है की गर्मी जैसा महसूस हो तो इसका मतलब आज गर्मी बहुत अधिक है अगर सर्दी जैसा मौसम महसूस हो तो मन को बताता है कि आज सर्दी बहुत है और हम यहां खुशबू बदबू जैसे नाक से सूंघता है और मन को प्रोसेस करने के लिए भेज देता है|
आंख कुछ देखती है तो उस हिसाब से इनफॉरमेशन को प्रोसेस करती है और हम कुछ कहते हैं तो मुंह उस हिसाब से स्वाद को मन को प्रोसेस करने के लिए भेज देती है|
हमें नाक कान मुंह शरीर आदि के द्वारा पता चलता है कि कौन क्या कैसा है मौसम कैसा है और मन बस उसकी प्रक्रिया करने का कार्य करता है|
नाक कान में शरीर इनपुट डिवाइस है और यह एक सामान्य क्रिया बार बार होने के कारण उस क्रिया और प्रतिक्रिया को MARK कर लेती है और सिचुएशन के हिसाब से रेस्पॉन्ड करती है|
मन बस उस इनफॉरमेशन को प्रोसेस करता है|