हमें एक से ज्यादा लोगों के साथ फिजिकल रिलेशनशिप क्यों नहीं बनाना चाहिए?
जैसे हम जानते हैं कि हमारी बॉडी हमारी इनपुट डिवाइस है इनसे ही हमें पता चलता है कि मुझे सर्दी लग रही है या गर्मी लग रही है मौसम अच्छा है या खराब है मन तो बस जो इनपुट मिलता है उस हिसाब से जो हमारे मेमोरी या याददाश्त या अवचेतन मन में जो होता है उसेहिसाब से रिएक्शन, एक्शन करता है|
उसी हिसाब से जब हम एक व्यक्ति के साथ फिजिकल रिलेशनशिप बनाते हैं तो हमें उस व्यक्ति की आदत लग जाती है और व्यक्ति आपके पास हमेशा होना चाहिए क्योंकि हमें उस व्यक्ति के अच्छाइयां, बटन, सुगंध आदि चीजों की आदत पड़ जाती है जब वह व्यक्ति कहीं दूर चला जाता है तो आपको महसूस होता है कि आज मुझे अच्छा नहीं लग रहा है या मुझ से कुछ दूर चला गया है|
मोटा मोटा देखा जाए तो हम जिस व्यक्ति के साथ फिजिकल रिलेशनशिप बनाते हैं तो हमें उस व्यक्ति की आदत पड़ जाती है और हमारे दिल दिमाग चेतन अवचेतन मन और याददाश्त मेमोरी में समा जाता है और हमारी बॉडी उस व्यक्ति के पास रहने से खुश रहती है और उस एक ही शरीर की आदत होने के कारण उसे कोई कंफ्यूजन नहीं रहता है|
जब कोई व्यक्ति बहुत से लोगों के साथ या एक से अधिक व्यक्तियों के साथ शारीरिक संबंध बनाता है तो उस व्यक्ति की बॉडी को पता ही नहीं चलता कि अलग-अलग बॉडी के साथ कैसा रिएक्शन करना है और आपकी बॉडी शरीर मन सब कुछ कंफ्यूज हो जाता है कि करना क्या है उस बॉडी के साथ कैसा महसूस करना है|
अंततः ऐसा व्यक्ति हमेशा कंफ्यूजन में रहता है और कभी भी खुश नहीं रह पाता फिजिकल रिलेशनशिप बनाते वक्त कोई भी आनंद की अनुभूति नहीं होती है न ही खुशी की अनुभूति होती है सब एक क्रिया की तरह एक कार्य करता है बस एक काम करने से ज्यादा और कुछ नहीं होता है|
भारतीय संस्कृति के हिसाब से हमारे पूर्वज व संत महात्मा जानते थे इस बात को अच्छे से इसलिए हमारी संस्कृति में विवाह जैसी एक परंपरा बनाई और हमेशा एक विवाह की सलाह दी और एक ही व्यक्ति के साथ फिजिकल रिलेशनशिप बनाने की वकालत की है जिससे फिजिकल रिलेशनशिप को एक अच्छे नजरिए से देखा जाए और यहां तक की कुछ संत महात्माओं ने यह तक कहा है कि अगर पति पत्नी प्रेम पूर्वक खुशी होकर शारीरिक संबंध बनाते हैं तो भगवान की प्राप्ति कर सकते हैं क्योंकि यही एक पल होता है कि जब आप भगवान के बहुत करीब होते हैं जैसे कि हम भगवान को सृष्टि रचयिता मानते हैं उसी प्रकार जब एक पति पत्नी शारीरिक संबंध बनाते हैं तो वह भी एक सृष्टि की रचना की एक अंश होते हैं और वह भी किसी व्यक्ति को इस संसार में लाने का कार्य करते हैं शारीरिक संबंध के द्वारा ही एक जीव की उत्पत्ति होती है इसीलिए पति पत्नी के फिजिकल रिलेशनशिप को बहुत ही महान बताया गया है|
OSHO जी ने एक पुस्तक लिखते समय बताया है कि संभोग से समाधि की और यह 1970 के दशक की सबसे ज्यादा बिकने वाली पुस्तक की गिनती में आती है इस पुस्तक में यही समझाया गया है कि अगर आप प्रेम पूर्वक स्नेह पूर्वक खुशी पूर्वक फिजिकल रिलेशनशिप बनाते हैं तो आप भगवान को प्राप्त कर सकते हैं और यह सच बात है कि जब एक संत महात्मा अपने ध्यान में मग्न होता है जब उस संत महात्मा को उस ध्यान में से जो खुशी मिलती है तो उतनी खुशी जब एक कपल खुशी से मन से आनंद से शारीरिक संबंध बनाता है तो तब भी उन्हें वही खुशी प्राप्त होती है वही आनंद प्राप्त होता है जो एक संत महात्मा को ध्यान मग्न में होता है|
अतः मैं यही कहना चाहूंगा कि शारीरिक संबंध बनाना एक बहुत ही प्राकृतिक क्रिया है जैसे हमें जिंदा रहने के लिए पानी पीने की खाना खाने की वायु से सांस लेने की जरूरत है उसी प्रकार से हमें शारीरिक संबंध की एक आयु के बाद जैसे अलग-अलग धर्म संस्कृति देश में सहमति में शारीरिक संबंध बनाने की 18 वर्ष है और शादी करने की उम्र 21 वर्ष है|
क्योंकि हमारे शरीर में एक AGE के बाद कुछ हार्मोनल चेंज होने लगते हैं और उन हार्मोनल चेंजेज की वजह से हमारे शरीर के फिजिकल रिलेशनशिप बनाने की जरूरत पड़ने लगती है|
बस में यही कहना चाहूंगा कि शारीरिक संबंध को एंजॉय करो पर हमेशा एक व्यक्ति के साथ जिससे फिजिकल रिलेशनशिप के रोमांस बना रहे और बॉडी कंफ्यूज न हो|
उदाहरण के लिए हमने बहुत सारी दवाइयां के इंटरव्यू सुने होंगे देखे होंगे जब वह बताती है फिजिकल रिलेशनशिप मेरे लिए एक काम की तरह हो गया है और मुझे कोई भी खुशी नहीं होती है कि कौन आ रहा है और कौन शारीरिक संबंध बनाकर जा रहा है उनकी कोई भी क्रिया या प्रतिक्रिया नहीं होती है जबकि एक कपल यह काम करते हैं तो उसमें एक खुशी आनंद होता है|