Yesterday I was clever so I wanted to change the world today I am wise so I am changing myself.
यह सच बात है कि चतुर लोग ही दूसरों को बदलने में अपना समय बर्बाद करते रहे हैं जो कि कभी भी बदलने वाले नहीं है क्योंकि सामने वाला अपने आप में हमेशा ही सही होता है वह व्यक्ति अपने हिसाब से कभी भी गलत नहीं होता है सामने वाला व्यक्ति अपनी सोच के हिसाब से हमेशा सही होता है क्योंकि जब ही वह व्यक्ति वह कार्य कर रहा है ऐसा कर रहा है और वैसा कर रहा है क्योंकि वह अपने हिसाब से सही है|
जैसे कि एक आतंकवादी व्यक्ति अपने सारे शरीर में बहुत सारे बम बांधकर छोटे – छोटे बच्चों के स्कूल में जाता है और सारे बच्चों को मार डालता है और चारों ओर चीख, पुकार मचती है चारों तरफ डर का माहौल होता है और सभी रो रहे होते हैं|
तो ऐसे व्यक्तियों में कभी बात करो तो वह अपने आप को इतना महान बताएंगे कि आप को लगेगा उनके हिसाब से इतना महान कोई है ही नहीं क्योंकि उनको आतंकवादी जैसे कार्य करने के लिए उनके दिमाग में ऐसी ऐसी चीज डाली जाती हैं कि आतंकवादी ऐसे कार्य को महान समझने लगते हैं और अपनी जान की बाजी लगाकर इस कार्य को करते हैं|
मैं यहां पर समझाने की कोशिश कर रहा हूं कि हर व्यक्ति अपने हिसाब से व अपनी सोच से हमेशा ही सही होता है सामने वाले लोगों की सोच में बदलाव लाना मुश्किल होता है|
हां अगर सामने वाले को बदलना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने आप को बदलो फिर संभावना है कि वह व्यक्ति आपसे कुछ सीख कर अपने आप को बदल ले|
इसलिए हमेशा बुध्दिबल लोग संसार को बदलने के लिए कभी कोशिश नहीं करते हैं वह सबसे पहले अपने आप में बदलाव, अपने आप में सुधार लाने की कोशिश करते हैं अपने आप को महान बनाने में पुरी जी तोड़ मेहनत करते हैं अपने आप को अपना नेक्स्ट वर्जन बनाने की कोशिश करते हैं और अपने आप में लगातार बदलाव करते हैं और हर दिन हर क्षण हर पल अपने आप में सुधार व सोच में सुधार करते रहते हैं और महान बनते रहते हैं|
उदाहरण के लिए गौतम बुद्ध जी ने हमेशा अपने जीवन में सुधार किया और एक समय बाद जब जाकर दूसरे लोगों को प्रेरित किया क्योंकि जब कोई व्यक्ति अपने आप को महान बनाता है और अपने आप में सुधार करने के बाद ही दूसरों को ज्ञान देता है तब उस व्यक्ति का प्रकाश दूसरे व्यक्तियों पर पड़ता है|
उदाहरण के लिए एक व्यक्ति बोलता है पैसा सब मोह माया है और जब यह बोलने की फीस में सिर्फ ₹10000 कम कर दो तो वह गुस्सा हो जाता है और आग बबूला होने लगता है की बात तो इतने रुपए में हुई थी आप 10000 कम क्यों दे रहे हैं|
जबकि वह अभी थोड़ी देर पहले ज्ञान दे रहा था पैसा सब मोह माया है और खुद ही पालन नहीं कर रहा है तो ऐसे व्यक्ति का दूसरों पर प्रकाश नहीं पड़ता है|
मेरा मानना है कि हमेशा अपने आप में सुधार करो हर इंसान में हमेशा ही कुछ न कुछ सुधार की आवश्यकता होती है और आप नेक्स्ट वर्जन बनाओ और महान बनो तब जाकर आप किसी दूसरे व्यक्ति में बदलाव ला सकते हैं न कि आप कुछ बदलो नहीं और दूसरों में हमेशा बदलाव की कोशिश करते रहो आपके सभी प्रयास हमेशा असफल ही रहेंगे|
उदाहरण गांधीजी के पास एक महिला आई और बोली बापूजी मेरा बेटा बहुत ज्यादा ही मीठा खाता है आप इसको मना कर दें कि ज्यादा मीठा खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है तो गांधी जी ने बोला कि आप एक सप्ताह बाद आना तो वह महिला फिर से गांधी जी के पास एक सप्ताह बाद पहुंची तो गांधी जी ने उस महिला के बेटे से बोला कि बेटा ज्यादा मीठा खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है|
तो महिला ने गांधी जी से प्रश्न किया गांधीजी आप यह बात 7 दिन पहले भी बोल सकते थे आपने इस बात के लिए 7 दिन इंतजार क्यों कराया तो गांधी जी बोले की 7 दिन पहले मैं भी बहुत ज्यादा मीठा खाता था जो कार्य में खुद करता हूं तो दूसरों को उसके विपरीत कैसे ज्ञान दे सकता हूं|
7 दिन में मैंने मीठा खाना छोड़ दिया फिर जाकर मैं आपके बेटे को बता पाया कि मीठा खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है|
पहले स्वयं में बदलाव करें स्वयं महान बने फिर दूसरों से चेष्टा, अपेक्षा करें|